कभी कुछ बातें,
इस कदर दिल को छू
जाती हैं.
कि शायद ये दिल या दिमाग भी
समझने में नाकाम रहता है
कि वैसा क्यूँ हुआ और क्या वजह थी
कोई तो वजह का जिक्र करे..
उस वजह को बयाँ करे।
वजह जानने को यह दिल भी बेचैन है
तो
हमने उस ऊपर वाले को कहा.. की तुम ही कुछ तो बता दो ।
अब क्या कहें
कि वो ऊपर वाला भी बयाँ करने में नाकाम है ।
वो भी सिर्फ खामोश है.
वो भी कुछ इस तरह मजबूर हो गया है,
जैसे कि वो भी इंसान है..
मजबूर है |